इतिहास पीर निगाहा – बाघापुराणा ( मोगा )

Peer Nigaha Village Langiana, Bagapurana District Moga

इतिहास के मुताबिक लख दाता पीर जी के 4 निगाहे हैं ।

  1. पहला और बड़ा पीर निगाहा डेरा गाज़ी खान, मुल्तान पाकिस्तान में है ।
  2. दूसरा पीर निगाहा गाँव बसोली जिला ऊना, हिमाचल प्रदेश में है ।
  3. तीसरा पीर निगाहा गाँव गढ़ी अजित सिंह नज़दीक औढ जिला नवांशहर, पंजाब में है ।
  4. चौथा पीर निगाहा गाँव लंगेयाना नज़दीक बाघापुराणा जिला मोगा पंजाब में है |

बाघापुराणा से कोई 2 - 3 किलोमीटर की दुरी पर छोटा सा गॉव है लंगेयाना, जिस के दाईं तरफ बहुत ही सूंदर पीर लख दाता जी का दरबार है । गॉव के बाहर से ही दरबार के रोज़ा मुबारक के दर्शन होते है, जो संगत के मन को मोह लेते है ।

इस दरबार का इतिहास बहुत ही विलक्षण है , जिस जगह पर पीर निगाहा दरबार सुशोभित है वहां किसी समय खेत हुआ करते थे और इन खेतों में हरे छोलिए की खेती की जाती थे । खेत के मालिक ने फसल को जानवरों से बचाने के लिए एक आदमी को नौकरी पर रखा हुआ था जो की आँखों से अंधा था, उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता था । उनका नाम था बाबा बुद्धू शाह जी । बाबा बुद्धू शाह जी जब भी किसी जानवर यां पक्षी की आवाज सुनते तो हुरर - हुरर की आवाज कर के उनको वहाँ से भगा / उडा देते । इस नौकरी की एवज में खेत मालिक उनको रोटी दे देता था । इस तरह बाबा बुद्धू शाह जी की जिंदगी व्यतीत हो रही थी । लेकिन भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था ।

ऐसे ही बाबा बुद्धू शाह जी की जिंदगी कट रही थी कि एक दिन संसार के मालिक सतगुरु लख दाता जी अपनी ककी घोड़ी पर सवार हो कर गॉव ( लंगेयाना ) में पधारे और खेतों में बैठे बाबा बुद्धू शाह जी के पास आ कर रुके और उनसे गॉव सरदारां वाली मानसा का रास्ता पूछा । बाबा बुद्धू शाह जी ने बहुत ही प्यार से पीर जी से कहा कि मैं तो आँखों से अंधा व्यक्ति हूँ मैं आप को रास्ता कैसे बता सकता हूँ , आप किसी और से रास्ता पूछ लीजिए तो बेहतर होगा , तो पीर लख दाता जी ने कहा कि अगर आँखों से दिखाई नहीं देता तो क्या हुआ आप उस तरफ इशारा कर के बता दो, तो बुद्धू शाह जी ने अपने स्थान पर बैठे - बैठे ही हाथ उठा कर सरदारां वाली मानसा गॉव की तरफ इशारा कर दिया, तो पीर लख दाता जी ने कहा ऐसे नहीं अपने स्थान पर खड़े हो कर बताओ, तो इतना सुन कर बाबा बुद्धू शाह जी ने कहा ठीक है जनाब जैसी आप की इच्छा और इतना कह कर वो अपने स्थान पर खड़े हो गए और अपना दायां हाथ ऊपर उठाया, और जैसे ही उन्हों ने सरदारन वाली मानसा गॉव की तरफ हाथ किया तो चमत्कार हो गया बाबा बुद्धू शाह जी को गॉव दिखाई देने लग पड़ा, बाबा बुद्धू शाह जी हैरान हो गए और जैसे ही उन्हों ने अपना सिर दूसरी तरफ घुमाया, तो क्या देखते है कि पीर लख दाता जी अपनी ककी घोड़ी पर सवार उनके पास खड़े है । बाबा बुद्धू शाह जी, पीर लख दाता जी के पैरों में गिर पड़े और उनका लाख - लाख धन्यवाद करने लगे । पीर लख दाता जी ने बाबा बुद्धू शाह जी को उठाया और वचन किया कि बाबा बुद्धू शाह जी आप इसी स्थान पर हमारी भक्ति करो कोई समय आएगा इसी स्थान पर हमारा दरबार बनेगा और इसी स्थान पर हमारे मेले लगा करेगे, लोगों की मनो कामनाएं पूरी हुआ करेगी और वो अपनी मनोकामना पूरी करने इसी दरबार में आया करेगे ।

आज पीर लख दाता जी के बोले वचन पुरे हुए और इसी स्थान पर पीर लख दाता जी के मेले लगते है, लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है । लोग देश - विदेश से नतमस्तक होने और सच्ची सरकार पीर लख दाता जी का शुक्रिया अदा करने इस दरबार ( चौथा पीर निगाहा गॉव लंगेयाना नज़दीक बाघापुराणा जिला मोगा) पर पहुँचती है । हर वीरवार लोग दरबार पर माथा टेकने आते है, चिरगों में सरसों का तेल डालते है, धुप -बत्ती करते है और पीर लख दाता जी का लाख - लाख शुकर मानते है ।


जैकारा लख दाता पीर जी का
बोल साचे दरबार की जय